हिंदी विभाग
हिंदी विभाग का परिचय (Introduction of Hindi Department)
महाराष्ट्र राज्य के पूर्व राज्यमंत्री मा श्री शिवाजीराव पंडीत जी (दादासाहब ) के प्रयास से जून 2000 ई. मे. गढी जैसे छोटे से गांव में इस महाविद्यालय की स्थापना की गई। इस महाविद्यालय की स्थापना का मुख्य उद्देश्य है, शैक्षिक एवं आर्थिक दृष्टि से पीछड़े लोगों को शिक्षा की मुख्य धारा में लाना। महाविद्यालय की स्थापना से ही हिंदी विभाग का प्रारंभ हुआ। श्री ज्ञानेश्वर वाघमारे, डॉ. संतोषकुमार यशवंतकर, डॉ. संगिता आहेर इन्होंने विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वर्तमान समय में प्रो. संतोषकुमार यशवंतकर विभागाध्यक्ष पद पर कार्यरत है तथा प्रा. हिरा पोटकुले एवं प्रा. अंगद शेजुल सहाय्यक प्राध्यापक पद पर कार्यरत है। हमारे लिए गौरव की बात है कि गढ़ी जैसे छोटे गाँव में हिंदी विभाग ने राष्ट्रभाषा हिंदी का प्रचार- प्रसार करने तथा युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में सफल प्रयास किया है। विभागीय ग्रंथालय, राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कार्यशाला का आयोजन करना विभाग की भविष्यकालीन योजना है। अनुसंधान क्षेत्र में लघुशोध योजना, बृहद शोध योजना के साथ पुस्तक प्रकाशन की भी योजना है। छात्र संवर्धन कार्यक्रम के अंतर्गत विभाग हिंदी साहित्यकारों से छात्रों के साक्षात्कार की योजना करना चाहता है।
लक्ष्य (The Goal )
शैक्षिक, अकादमिक तथा अनुसंधान के क्षेत्र में प्रगतिशिलता लाना। उपाधि प्राप्त छात्रों को साहित्यिक, अकादमिक व्यावसायिक, कला आदि क्षेत्रों में आत्मविश्वास के साथ अग्रसर करना । छात्रों में अभिव्यक्ति कौशल विकसित कर महाविद्यालय के मराठी तथा अंग्रेजी विषय के छात्रों को हिंदी भाषा तथा साहित्य के ज्ञान से अवगत कराना । अंतरविद्याशाखिय अध्ययन हेतु सजगता निर्माण करना। देश की भाषिक विभिन्नता में भी एकता बनाये रखना
बलस्थान ( Strength )
औसत परीक्षा परिणाम अच्छा है। विभाग में प्रवेशित छात्र संख्या अन्य विषयों की तुलना में अच्छी है। विभाग में विभिन्न छात्र संवर्धन कार्यक्रम का आयोजन। विभाग के दो अध्यापक इसी विभाग के पूर्व छात्र है। इसलिए महाविद्यालय के निकटम गाँवो में संपर्क करने में आसानी और अध्यापक छात्रों संबंधों में विश्वासपूर्ण वातावरण का निर्माण हुआ है। विभाग के सभी अध्यापक युवा होने के कारण विभाग की प्रगति के अवसर उपलब्ध है ।
अवसर (Opportunities)
यह महाविद्यालय देहात में है इसलिए इसे उन्नति के अनंत अवसर है । छात्र एवं नागरिकों में राष्ट्रभाषा हिंदी एवं हिंदी साहित्य के प्रति रुचि बढाई जा सकती। हिंदी भाषा के माध्यम से विविधता में एकता बनाई रखने का अवसर उपलब्ध है। उपाधि प्राप्त कर छात्र भाषा के क्षेत्र में रोजगार प्राप्त कर सकता है। विभाग का छात्र हिंदी भाषा ज्ञान की झरोखों से वैश्विकरण की दूनिया में सफलता से विचरण कर सकता है।
चुनौतियाँ (Challenges )
महाराष्ट्र के मराठवाडा प्रदेश में बार बार अकाल की परिस्थिति निर्माण होती है। गर्मी के दिनों पीने का पाणी तक नही मिलता सिंचाई तो दूर की बात है। इसका परिणाम आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। कई किसान तो आत्महत्याएँ तक करते है। ऐसी स्थिति में छात्रों की निरंतर पढाई में रुकावटे आती है। राष्ट्रभाषा हिंदी और हिंदी साहित्य के प्रति उदासीनता दृष्टिगत होती है। इसलिए छात्रों में अभिव्यक्ति कौशल विकसित करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
भविष्यकालीन योजनाएं ( Future Plans )
हिंदी विभाग के आर्थिक, सामाजिक दृष्टि से पीछड़े छात्रों के लिए सहायता करना । मेधावी छात्रों के लिए पुरस्कार प्रारंभ करना। विभाग का ग्रंथालय निर्माण करना । अन्य विद्यालयों के छात्रों में हिंदी के प्रति जागरुकता निर्माण करना। छात्र संवर्धन कार्यक्रम के अंतर्गत हिंदी साहित्यकारों से साक्षात्कार कराना, राष्ट्रीय संगोष्ठि, कार्यशाला का आयोजन करना। लघु शोध प्रकल्प एवं बृहद शोध प्रकल्प पर कार्य करना विभाग की भविष्यकालीन योजनाएँ है।
Course Details
Class | Semester | Paper No | Name of the Paper |
---|---|---|---|
B.A.F.Y. | Sem. I | I | हिंदी साहित्य का इतिहास (आदि तथा मध्यकाल) |
II | आधुनिक कविता | ||
Sem. II | III | कथा-साहित्य | |
IV | मध्ययुगीन कविता | ||
B.A.S.Y. | Sem.III | V | कथेत्तर गद्य साहित्य |
VI | प्रयोजनमूलक हिंदी-1 | ||
Sem. IV | VII | आधुनिक हिंदी कविता | |
VIII | प्रयोजनमूलक हिंदी-2 | ||
B.A.T.Y. | Sem. V | IX | प्रादेशिक साहित्य |
X | आदि तथा मध्यकालीन हिंदी साहित्य का इतिहास | ||
XI | साहित्यशास्त्र- I | ||
XII | प्रकल्प-कार्य | ||
Sem. VI | XIII | मध्यकालीन काव्य | |
XIV | आधुनिक हिंदी साहित्य का इतिहास | ||
XV | साहित्यशास्त्र- 2 | ||
XVI | प्रकल्प-कार्य |
Teaching Staff
# | Name of Faculty | Qualification | Designation | Experience |
---|---|---|---|---|
1 | Dr. Yashwantkar S.L. | M.A., M.Phil., Ph.D. NET, NET | Professor | 16 |
2 | Smt. Potkule H. T. | M.A., SET | Assistant Professor | 12 |
Honor/Award/ Prize Received
Research Publications
# | Name of Faculty | National Journals | International Journals | Conf. Proceeding | Chapter in Book | Books |
---|---|---|---|---|---|---|
1 | Dr. Yashwantkar S.L. | 20 | 02 | 08 | 07 | 04 |
2 | Smt. Potkule H. T. | 10 | 12 | 13 | 04 | -- |
Student Enrollement
# | Academic Year | B.A.F.Y. | B.A.S.Y. | B.A.T.Y. | Total |
---|---|---|---|---|---|
3 | 2018-19 | 36 | 19 | 06 | 61 |
4 | 2019-20 | 32 | 23 | 07 | 62 |
1 | 2020-21 | 34 | 17 | 07 | 58 |
2 | 2021-22 | 28 | 09 | 02 | 39 |
2 | 2022-23 | 42 | 07 | 03 | 52 |
Results (from 2018-19 on words)
# | Academic Year | B.A.F.Y. | B.A.S.Y. | B.A.T.Y. |
---|---|---|---|---|
1 | 2018-19 | 83 | 81% | 90 |
2 | 2019-20 | 79 | 83 | 90 |
3 | 2020-21 | 63 | 67 | 90 |
3 | 2021-22 | 69 | 80 | 91 |
3 | 2022-23 | 87 | 90 | 92 |
Events & Activities
Best Practices & Future Plan
Best Practice शालेय छाञों को हिंदी विषय की पहचान एवं उपादेयता
जयभवानी शिक्षण प्रसारक मंडल संचालित, कला एवं विज्ञान महाविद्यालय शिवाजीनगर गढी हिंदी विभाग ने 'शालेय छात्रों को हिंदी विषय की पहचान एवं उपादेयता' उपक्रम के अंतर्गत माध्यमिक विद्यालय, मारफला में जाकर छात्रों को मार्गदर्शन किया । राष्ट्रभाषा हिंदी के महत्त्व को प्रतिपादित किया । हिंदी भाषा का विशेष महत्व है, विदेशों में हिंदी भाषा के प्रयोग से ही भारत देश की पहचान की जाती है । हिंदी भाषा से हमारे जीवन शैली संस्कृति, रहन- सहन तथा मान- सम्मान और वेशभूषा आदि का पता चलता है, हम अपने दैनिक जीवन में कार्य करने के लिए भी हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं ।
भारतीय भाषा ओं में केवल हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसे राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया जा सकता है क्योंकि यह अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती है; यह समस्त भारत में आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक सम्पर्क माध्यम के रूप में प्रयोग के लिए सक्षम है तथा इसे सारे देश के लिए सीखना आवश्यक है ।
उदेश्य
उपक्रम की उपयोगिता /महत्व
निष्कर्ष:
Future Plan